विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि डब्ल्यूएचओ पारंपरिक और पूरक चिकित्सा प्रणाली में अंतर बताता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विकासशील देशों के लिए पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को स्वदेशी चिकित्सा के रूप में माना जाता है। इसका उदाहरण स्वरूप आयुर्वेद, पारंपरिक चीनी चिकित्सा आदि है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विकसित देशों के लिए CAM / TM शब्द का इस्तेमाल किया है।
पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली (Traditional Medicine System)
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार TM विश्व में उपस्थित विभिन्न प्रकार की संस्कृतियों के अपने जो स्वदेशी सिद्धांत, विश्वास और अनुभव हैं, उनके आधार पर प्राप्त ज्ञान, कौशल और प्रथाओं का योग है। फिर चाहे वह विषय– वस्तु खोज के योग्य हो या नहीं भी हो किंतु हमारे स्वास्थ्य के रखरखाव में उसका उपयोग किया जाता हो, शारीरिक और मानसिक रोगों के उपचार के लिए, जो पीढ़ी दर पीढ़ी अवलोकन पर भी निर्भर हो सकता है। पारंपरिक चिकित्सा में आज की आधुनिक वैज्ञानिक चिकित्सा के विकास से पूर्व की सैकड़ों या हजारों वर्षों से प्रचलित चिकित्सा सम्मिलित है और जो आज भी प्रचलन में हैं। TM उपचारों में कुछ दवा उपचार इस प्रकार हैं– पौधों या जानवरों के उत्पाद या खनिजों का उपयोग और कुछ गैर दवा के उपचार इस प्रकार हैं– एक्यूपंक्चर, चीगोंग, योगा, प्राकृतिक चिकित्सा और तापीय चिकित्सा आदि।
पूरक चिकित्सा प्रणाली (Complementary Medicine System)
कुछ देशों की प्रमुख राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में TM को सम्मिलित नहीं किया गया है, वहां की प्रमुख स्वास्थ्य प्रणाली एलोपैथी पर आधारित है। इन देशों में TM को पूरक चिकित्सा कहा जाता है। इसे और भी कई उपनामों से जाना जाता है जैसे कि वैकल्पिक ये गैर– पारंपरिक चिकित्सा। स्वास्थ्य देखभाल की प्रथाओं के अनुसार पूरक या वैकल्पिक चिकित्सा वह हैं जो किसी देश की अपनी परंपरा का हिस्सा न होकर किसी और देश की परंपरा का हिस्सा हो।