आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों में से एक है। आयुर्वेद का इतिहास लगभग 3000 वर्ष से अधिक पुराना है। आयुर्वेद के अनुसार हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है– अग्नि, जल, आकाश, पृथ्वी और वायु। और इनके संतुलन के महत्व को प्रतिपादित करता है। आयुर्वेदिक दवाओं के रूप में पौधों और जानवरों से प्राप्त उत्पादों, कुछ धातुओं या खनिजों का उपयोग किया जाता है। कहा जाता है कि आयुर्वेदिक दवाइयां ना केवल किसी रोग का उपचार करती हैं बल्कि उसके गहराई तक जाकर रोग को जड़ से खत्म कर देती हैं। आयुर्वेदिक दवाओं का असर होने में बहुत लंबा वक्त लगता है। आयुर्वेदिक दवाओं के साइड इफेक्ट कम होते हैं। कुछ लोग बिना चिकित्सक से परामर्श लिए खुद से आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन शुरू कर देते हैं जो कि बिल्कुल गलत है। आयुर्वेदिक दवाओं के कुछ नियम होते हैं कि उन्हें किस समय, किस अवस्था में, और कितनी मात्रा में लिया जाए। इन नियमों कि अगर पालना ना की जाए तो इसके बाद से नुकसान हो सकते हैं।
हालांकि आयुर्वेदिक दवाओं के पक्ष में अधिक वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। विज्ञान के अनुसार आयुर्वेदिक दवाओं में शीशा पारा और आर्सेनिक जैसे जहरीले तत्व पाए जाते हैं जोकि हमारी सेहत के लिए अच्छे नहीं माने जाते हैं। इनसे बहुत से साइड इफेक्ट हो सकते हैं।
क्या कैंसर का कोई आयुर्वेदिक इलाज है?
कैंसर एक खतरनाक बीमारी है। यदि सही समय पर इसका पता ना चले तो इसका इलाज होना मुश्किल हो जाता है। आयुर्वेद में कैंसर की कोई परिभाषा नहीं बताइ है बल्कि कैंसर को एक सूजन के रूप में बताया गया है। आयुर्वेद की भाषा में इस सूजन को या गांठ को अरबूद कहा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार वात पित्त और कफ में असंतुलन होने से रक्त और ममस हाथों पर जब गलत असर पड़ जाता है तो कैंसर की उत्पत्ति हो जाती है। आयुर्वेद में कैंसर के बहुत सारे उपचारों को बताया गया है।
इन उपचारों में से प्रमुख हैं– ट्यूमर को शरीर के हिस्से से अलग करना, डिटॉक्सिफिकेशन, स्नेहन और स्वेदन आदि काम में लिए जाते हैं। कैंसर को नियंत्रित करने के लिए कुछ औषधियां जैसे ब्राह्मी, गिलोय, पीपली, हरिद्रा और अश्वगंधा आदि भी दी जाती हैं।
क्या कीमोथेरेपी के साथ आयुर्वेदिक दवा ली जा सकती है?
कैंसर होने पर कीमो थेरेपी के साथ कुछ आयुर्वेदिक दवाए या कहे तो कुछ घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे उपयोग में लिए जा सकते हैं। हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार कोलोरेक्टल कैंसर के 15 प्रतिभागियों को कीमो थेरेपी के साथ हल्दी से कैंसर को नियंत्रित किया गया। इससे यह बता लगता है कि हल्दी कैंसर को काफी हद तक अनियंत्रित कर सकती है। और हम हल्दी या जीरे का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
गठिया के लिए आयुर्वेदिक उपचार क्या है?
गठिया यानी अर्थराइटिस जोड़ों में होने वाली एक सामान्य बीमारी है, जिससे जोड़ों में बहुत दर्द होता है। और जोड़ों को हिलाने डुलाने और मोड़ने पर बहुत परेशानी होती है। गठिया को सही करने के लिए आयुर्वेद के उपचार उपलब्ध है। गठिया के लिए आयुर्वेदिक उपचार ओं में से एक प्रचलित उपचार है– योगराज गुग्गुल। आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श से आप योगराज गुग्गुल की गोली प्रतिदिन भोजन से पहले या बाद में दिन में दो से तीन बार ले सकते हैं। और इसके अतिरिक्त एक आयुर्वेदिक तेल, महानारायण तेल की मालिश करने से हर प्रकार के गठिया या जोड़ों में दर्द से मुक्ति मिलती है।
आयुर्वेद किसके इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है?
आयुर्वेद का मानना है कि हम पांच तत्वों से मिलकर बने हैं– अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी और आकाश। इन तत्वों के संयोग से हमारे शरीर में तीन प्रकार के दोषों का निर्माण होता है– वात, पित्त और कफ। और इन तीनों में असंतुलन होने पर हमारे शरीर में किसी न किसी रूप का आगमन होता है। आयुर्वेद का उद्देश्य हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाना है ताकि सभी प्रकार के रोगों से हमारा शरीर खुद लड़ सके। जीवनशैली में सुधार करने पर जोर देता है। आयुर्वेदिक दवाओं के प्रयोग से हर प्रकार के रोग रोग को जड़ से खत्म किया जा सकता है। आयुर्वेद चिकित्सा के प्रयोग से शारीरिक और मानसिक बीमारियों का इलाज हो सकता है।.