क्या आयुर्वेदिक होम्योपैथिक से तेज है?
वैश्विक उपचार दुनिया भर के लोगों के लिए अभिप्रेत हैं। पृथ्वी के विभिन्न क्षेत्र अपने लोगों के इलाज के लिए विभिन्न प्रकार की पद्धतियों का उपयोग करते हैं, और उनमें से कई पद्धतियां प्रभावी साबित हुई हैं। भारत में उपचार के दो प्रमुख तरीके हैं। पहला आयुर्वेदिक उपचार है, दूसरा होम्योपैथिक उपचार है। दोनों उपचारों ने अपनी ख्याति प्राप्त की क्योंकि कई लोग उनसे प्रभावित होते हैं। दुनिया भर के लोग चर्चा करते हैं कि उन्हें कौन सा तरीका बेहतर लगता है, लेकिन उन दोनों के बारे में सभी का एक अलग विचार है! चलिए हम आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक उपचार के बारे में कुछ बातें बातें जानते हैं।
आयुर्वेदिक —
आयुर्वेद को जीवन का विज्ञान माना गया है। आयुर्वेद में जड़ी बूटियों का इस्तेमाल करके रोगों का उपचार किया जाता है। आयुर्वेद मे वात, पित्त और कफ में संतुलन पर ध्यान दिया जाता है। जब हम आयुर्वेदिक उपचार करवाते हैं तो इसमें लंबा समय लगता है, जल्दी से आराम नहीं आता लेकिन यह रोग को जड़ से खत्म कर देता है। आयुर्वेदिक औषधियों के साइड इफेक्ट कम होते हैं। आयुर्वेदिक औषधियां प्रकृति से प्राप्त होती हैं।
होम्योपैथिक—
होम्योपैथी को जर्मन चिकित्सक सैमुअल हैनीमैन द्वारा विकसित किया गया था। होम्योपैथी का अर्थ माना जाता है— इसी तरह की पीड़ा। होम्योपैथी मैं पौधों और खनिजों का औषधियों में प्रयोग किया जाता है। होम्योपैथिक उपचार धीमा होता है किंतु इससे कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता है। होम्योपैथिक उपचार के तीन सिद्धांत हैं— न्यूनतम खुराक, एकल उपाय वैसे ही इलाज की तरह। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इस उपचार का फायदा उठा सकते हैं।
आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दोनों उपचार अपने स्थान पर विशेष हैं। यह हम पर निर्भर करता है कि उपचार के दौरान हम इनके सिद्धांतों की पालना करते हुए धैर्य के साथ औषधियां भी सही तरीके से लेते हैं।